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Toggleकुण्डली के 12 भाव और आपका भविष्य Decode 12 Houses of Kundali
दो शब्द (Before You Start)
दोस्तों जीवन में कोई सुखी है तो कोई दुखी है। एक ही साथ में पढ़ने वाले बहुत से बालकों में कोई प्रथम बार में ही IAS जैसी कठिन परीक्षा को उत्तीर्ण कर जाता है तो कोई 10th पास भी नहीं हो पाता है। आखिर ऐसा कैसे होता है कि एक ही गुरू (Teacher) से पढ़ने के बावजूद, एक ही माता और पिता की सन्तानें अलग-अलग गुण और धर्म लिये रहती हैं।
कुण्डली के 12 भाव आखिर क्या हैं
कुण्डली में बारह खाने (Houses) होते हैं जिनको भाव कहा जाता है। सभी भावों के फल (Results) अलग-अलग होते हैं। सभी भावों के स्वामी ग्रह अलग-अलग होते हैं। इनके कारक ग्रह भी अलग-अलग होते हैं| और इन्हीं भावों के बीच छिपा है आपका भाग्य (Luck) और आपके जीवन के महत्वपूर्ण रहस्य (Secrets)। इन्हीं भावों के आधार पर आप अपने बहुमुल्य जीवन के सभी गूढ़ प्रश्नों के उत्तर पा सकते हैं।
12 भावों में छिपे हैं आपके तीनो काल (Past, Future, Present)
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि 12 भावों में ही जीवन के भूत, भविष्य और वर्तमान तीनों कालों की समस्त गणनाएँ (Calculations), समस्त कार्यकलाप (Activities), समस्त जीवन (Whole Life’s) के आयाम (Dimentions) छिपे हैं। उनसे ही पता लगाया जा सकता है कि आगे आपके जीवन में किस बिन्दु से आप आगे सफलता की ओर जाएँगे अथवा विफल हो जाएँगे। ये भाव आपका मार्गदर्शन (Guidance) करते हैं।
कुण्डली के 12 भावों का औचित्य (Rationalisation of procedure)
जैसा कि प्रकृति (Nature) ने आपको अलग-अलग अंग और प्रत्यंग दिये हैं और उनका अलग-अलग कार्य तथा महत्व है। ठीक वैसे ही जीवन के सभी Codes को कुण्डली के ये 12 भाव अलग-अलग Completely में Decode करती हैं। आपको उसका एक Outline देती हैं। यदि आप इसमें दिलचस्पी (Interest) लेते हैं तो यह आपके विस्तृत (In Details) जीवन रहस्यों को आपके सामने एक आइनें की तरह अथवा छिपे हुए किसी खजाने (Treasure) की तरह सामने पटल पर लाकर रख देती हैं। यह आपके लिये एक रहस्य नहीं रहता लेकिन एक आश्चर्य है। और अपने आप में विज्ञान भी।
12 भावों में आपके जीवन से जुड़ी समस्त बातों के छिपे होने से उनपर विचार करते हुए ही शुभ और अशुभ, आपके जीवन से जुड़े निगेटिव और पोजिटिव एनर्जी को बताया जा सकता है। और इनके द्वारा आपके जीवन के किस आयाम पर विचार किया जाएगा इसलिऐ प्रत्येक भाव के नामों पर विचार किया जाता है। प्रत्येक भाव के नाम भी अलग-अलग हैं जिससे पता चलता है कि आपको आगे किस दिशा में जाना चाहिये।
उनके नामों पर विचार करने के साथ-साथ उनके ग्रह स्वामी और उनमें गोचर हो रहे ग्रहों पर भी विचार किया जाता है। उनकी गणनाओं (Calculations) से ही पता चलता है कि जीवन की दिशा और दशा क्या तय होने वाली है। अशुभ फल को कम करने अथवा उनको समाप्त करने के उपाय भी इन्हीं से ज्ञात हो जाते हैं और शुभ फलों को और जल्दी जीवन से जोड़ने की Techniques इन्हीं भावों से आप जान पाते हैं।
आइये जानते हैं संक्षेप में उन रहस्यमयी 12 Houses के नाम और उनसे जुड़े जीवन के अद्भुत रहस्यों को जिसके बाद आप अपने जीवन एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं। अगर आपने इस रहस्य को ठीक से समझ लिया तो आप अपने सोये भाग्य को जगा भी सकते हैं। और चाहें तो अपने साथ दूसरों का मार्गदर्शन कर उनके जीवन की दिशा और दशा को भी बदल सकते हैं।
प्रथम भाव जीवन के 1st Impression of the Last Impression को चरितार्थ करता है।
प्रथम भाव जीवन के First Impression of the last impression को चरितार्थ करता है।जैसा कि प्रथम भाव के नाम से स्पष्ट है कि प्रथम भाव किसी भी व्यक्ति के जीवन के प्रारम्भिक स्तर को विस्तार (Defines in details) से बताता है।
यह व्यक्तित्व (Personality) के विषय में सम्पूर्ण जानकारी देता है। यह आपकी पहली पहचान का भाव होता है। आपके इसी भाव से राशि का चक्र Start/Begin होता है। इस भाव से आपका लग्न स्थान, आपकी Personality, आपका रूप और रंग, आपके शरीर की बनावट, आपके Life में होने वाले लाभ-हानि, आपके कार्यों से यश और अपयश, आपके पूर्वजों के विषय, आपके सुख-दुख, आपके अन्दर का अत्मविश्वास (Confidence), आपका अभिमान (Pride) सब कुछ प्रकट (Describe) करता है। एक तरह से यह आपका आईना है।
संक्षेप में (In Short)
किसी व्यक्ति के कुण्डली के प्रथम भाव को लग्न, होरा, कल्य, प्रारम्भ, देह, उदय, रूप, सिर, वर्तमान काल, जन्म आदि कहते हैं। इस भाव से आपकी पर्सनलिटी प्रभावित होती है। इससे ही आप अपना फर्स्ट इम्प्रेशन इज द लास्ट इम्प्रेशन वाली कहावत चरितार्थ करते हैं।
द्वितीय भाव आपकी सम्पत्ति/Assets को Decode करता है।
द्वितीय भाव द्वारा आप अपने सम्पत्ति के विषय में अपने अन्दर की शक्तियों को डिकोड करते हैं। यह भाव आपके धन, विद्या आदि के विषय मे बताता है। धन का कारक ग्रह वृहस्पति है। आपका यह भाव धन के अलावा नेत्र, प्रारम्भिक शिक्षा आदि को भी बताता है।
आपके द्वितीय भाव और एकादश भाव में वृहस्पति मजबूत दशा में हों तो आप धनवान बनते हैं। आपके पास पैत्तृक रूप से ही धन हो सकता है अथवा आपके प्रयास ऐसे रहेंगे कि आप धनवान बनने की दिशा में आगे बढ़ेंगे। यदि इस भाव में वृहस्पति कमजोर हुआ तो आप दरिद्र भी हो सकते हैं।
वाणी, संगीत और आँखों का विचार इसी भाव से किया जाता है। दहेज, भाई बहन, आपके अन्य नाते और रिश्तेदारों से सम्बन्ध और उनसे आपको आर्थिक मदद, उपहार, मामा का भाग्य, जीवनसाथी की सम्पत्ति, साझेदार और उससे प्राप्त लाभ और सम्पत्ति, सास और ससुर आदि बातों को डिकोड करता है।
संक्षेप में (In Short)
किसी व्यक्ति की कुण्डली में धन-सम्पत्ति से सम्बन्धित घर को धन की प्राप्ति, विद्या की प्राप्ति, आपकी अपनी वस्तु-सम्पत्ति, आपका खाना और पीना, दाहिना नेत्र और उसकी समस्याएँ, चेहरा तथा उसकी बनावट और हाव-भाव, पत्रिका/चिट्ठी-वाचन सम्बन्धी, वाणी-शब्द, कुटुम्ब आदि से सम्बन्धित हैं। धन, विद्या, सम्पत्ति आदि का विचार इस भाव से किया जाता है।
तृतीय भाव आपका भाई है यह ब्रॉदरनेस को डिकोड करता है
तृतीय भाव को भ्रातृभाव भी कहते हैं क्योंकि यह आपके पराक्रम, हिम्मत आदि को डिकोड करता है। इसका कारक ग्रह मंगल है लेकिन स्वामी ग्रह बुध है। आपके मंगल तृतीयेश एवं तृतीय भाव में हैं तो आपको भाई से सुख मिलेगा यह तय है। यदि इसका उल्टा है तो भाई के सुख से आप वंचित रहेंगे।
बुध के स्वामी ग्रह होने के कारण आपकी बुद्धि को मेण्टल पावर को भी यह गहरे रूप में प्रभावित करता है। आप अपने जीवन में मानसिक रूप से अपने परिवार के दूसरे रिलेशपशिप्स जैसे के सगे-सम्बन्धियों के साथ मानसिक रूप से कितने तैयार हैं और आपका व्यवहार उनके साथ और उनका व्यवहार आपके साथ अच्छा है या बुरा इनके मजबूत होने के आधार पर ही मजबूत और कमजोर होने पर कमजोर हो जाता है।
संक्षेप में (In Short)
किसी की कुण्डली में तृतीय भाव से किसी प्रकार के दुःख के विषय में बेकार की चिन्ता, छाती (चेस्ट) रेस्पिरेशन सम्बन्धी, दाहिना कान/सुनने की शक्ति, सेना, हिम्मत, वीरता, शक्ति, भाई/बहन के विषय में ज्ञान किया जाता है। इस भाव का एक नाम दुश्चिन्त्य (बेकार की चिन्ता को दुश्चिन्त्य) के साथ-साथ भातृ भाव भी है।
चतुर्थ भाव आपके परिवार और पूर्वजों की अमानत है
चतुर्थ भाव से पूर्वजों की सम्पत्ति, हिस्सा, माता-पिता, आपके परिवार की ओर जाने वाली एनर्जी आपके पुश्तैनी स्थान का विचार किया जाता है। इसका एक नाम हिबुक है और हिबुक का अर्थ पाताल होता है और पाताल नीचे की ओर है या पीछे जो कि आपके पीछे की ओर इण्डिकेट करता है।
किसी के मूल स्थान के विचार को कुण्डली के चतुर्थ भाव से ही किया जाता है। यह वृद्धावस्था को भी इण्डिकेट करता है, जन्म से पंचतत्व में विलीन होने की यात्रा का विचार। छाती, स्तन और फेफडे़ की बिमारियोें का विचार इसी भाव से किया जाता है और उससे समय रहते ही सतर्क किया जा सकता है।
व्यक्ति का जीवन आरामदायक होगा कि नहीं, उसके आराम करने के साधन जैसे कि उसका घर जहाँ आप वह आराम करता है और उसकी गाड़ी जिससे वह आराम से ऑफिस जाता है। उसके माता-पिता के आराम का विचार हैं। चतुर्थ भाव में ग्रहों के कमजोर होने पर माता को किसी न किसी तरह क्षति होती है।
संक्षेप में (In Short)
कुण्डली में चतुर्थ भाव से घर, आपके खेत, माता के भाई मामा, भान्जा, गाड़ी-सवारी, मां, आपके मवेशी बकरी, गाय-भैंस आदि, नाक सम्बन्धि, सुगन्धि, वस्त्र, जेवर, सुख आदि का विचार आप कर सकते हैं। इस चौथे भाव से पानी, नदी, पुल का भी विशेष विचार करना चाहिये, इसको हिबुक भी कहते हैं। इस भाव का ग्रह स्वामी चन्द्रमा को माना जाता है जो कि मन को कण्ट्रोल करता है और कारक ग्रह चन्द्रमा और बुध है।
पंचम भाव और आपका भक्तिमय जीवन
पंचम भाव से जीवन की दिशा का भक्तिमार्ग पर विचार किया जाता है। व्यक्ति किसी देवी अथवा किसी देवता की उपासना करेगा इस बात का विचार भी इसी भाव से किया जाता है। कुण्डली का पंचम भाव ज्ञानवान और विद्याहीनता के विषय का विचार यही भाव बताता है। कुण्डली के इस भाव में बुध और वृहस्पति स्थित हों तो आप प्रकाण्ड विद्वान होते हैं। आपके शरीर के पेट, पाचन तन्त्र, रीढ़ और शरीर के ऊपरी और निचले हिस्से के रोगों की जानकारी यही भाव डिकोड करता है।
संक्षेप में (In Short)
कुण्डली के पंचम भाव से जीवन में किसी प्रकार से राजशासन की मोहर अथवा सरकार के माध्यम से कोई न कोई पद , मंत्री, कर-टैक्सेसन, आत्मा, बुद्धि-माइण्ड, भविष्य ज्ञान-फ्यूचर नॉलेज, प्राण, सन्तान, पेट के रोग अथवा पेट की विभिन्न समस्याएँ, श्रुति, स्मृति, समस्त शास्त्र ज्ञान पर महारत का विचार इसी भाव में किया जाता है।
षष्टम भाव आपकी रोगप्रतिरोध क्षमता
कुण्डली का षष्टम भाव जीवन की नकारात्मक ऊर्जा का और उसके द्वारा होने वाले प्रभावों को दर्शाता है। इस भाव का स्वामी लग्न अथवा अष्टम भाव में स्थित हो तो कहीं न कहीं व्रण होगा यह अल्सर हो सकता है अथवा अल्सर से भी ज्यादा खतरनाक, व्रण अथवा घाव आपके जीवन को अथवा आपके परिवार में अन्य लोगों के जीवन को प्रभावित करता है।
अपने ही बेटों से शत्रुता, धन या सम्पत्ति का लूट लिया जाना अथवा धोखे से हड़प लिये जाने का विचार इस भाव से किया जाता है।
नाभि के रोग, दाँत के रोग, आँखों के रोग आदि का विचार। यह भाव रोग और उससे सम्बन्धित डेटा और जीवन के नकारात्मक ऊर्जा के विषय में ज्ञान करवाता है। इसका अध्ययन बिमारियों से बचाव और रोगप्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करने के साथ जीवन के नकारात्मक ऊर्जा को कण्ट्रोल करने में बहुत ही ज्यादा सहायक है।
संक्षेप में (In Short)
षष्टम भाव से किसी की कुण्डली में उसके लोन और उससे सम्बन्धित विषयों को देखा जाता है। कोई अपने जीवन में कर्जदार बनता है, अपने कदम चोरी की दिशा में बढ़ाता है, घाव-चोट आदि के प्रभाव क्षेत्र का विचार इसी भाव से किया जाता है। विभिन्न प्रकार के रोग और समस्याओं, बिना बात के शत्रुओं की संख्या में वृद्धि, जाति, भाई बन्धु में अकारण शत्रुता का भाव, युद्ध, दुष्ट कर्म, पाप, भय, अपमान का विचार इसी भाव से किया जाता है। इस भाव से जीवन की नकारात्मकता पर आप नजर रख सकते हैं और उसको कण्ट्रोल भी कर सकते हैं।
सप्तम भाव और आपका विवाह
इस भाव का विचार करते समय यदि इस भाव में सप्तमेश हो और ग्रहों की संख्या एकाधिक हो तो ऐसे लोगों के विवाह उतने ही ज्यादा होते हैं। लग्न में सूर्य हों और सप्तम में शनि हों तो ऐसे लोगों की पत्नियों को गर्भ धारण नहीं होता है। इस भाव से व्यक्ति की पत्नी के विषय में ज्ञात होता है। उसकी पत्नी रोगग्रस्त होगी अथवा स्वस्थ होगी, उसके पुत्र होंगे अथवा पुत्र नहीं होंगे इस सभी बातों और उनके प्रभाव का ज्ञान इस भाव से होता है। यह आपके विपरीत लिंग के प्रति आर्कषण और आपके वंश के डेटा को भी डिकोड करता है।
संक्षेप में (In Short)
किसी व्यक्ति की कुण्डली का यह भाव हृदय के विभिन्न भाव, काम वासना, मद, पति, पत्नी के विषय में डेटा को डिकोड करता है। इसको द्यून अथवा जामित्र भी और अस्त भी कहते हैं। इस भाव से विवाह के विषय में जाना जा सकता है।
अष्टम भाव और आयु काल गणना
किसी का अष्टम भाव उसके जीवन और उसके पुर्नजन्म और जीवन के मध्य काल के रहस्यों को उजागर करता है। व्यक्ति की आयु कितनी होगी वह अल्पायु होगा अथवा दीर्घायु होगा, उसको कौन से रोग होगा अथवा अकाल मृत्यु का भाजन बन जायेगा। अष्टम भाव दूसरे भाव में होने पर व्यक्ति अपने चारों ओर बहुत से शत्रुओं से घिरा हुआ होता है। शनि अष्टम भाव में हो तो व्यक्ति दीर्घायु होता है। बीमा और बीमा,गुजारा भत्ता आदि बातें इस भाव के प्रकाश में विचारणीय हैं।
संक्षेप में (In Short)
किसी की आयु का विचार, उसके जीवन का मांगल्य, उसकी स्त्री का सौभाग्य, पति का जीवित रहना, रंध्र, छिद्र, आधि, मानसिक बिमारी, चिन्ता, अपमान, हार, आयु, क्लेश, बदनामी, मृत्यु, विघ्न, अशुचि, मरने से सूतक, आदि का विचार इस अष्टम भाव से किया जाता है। यह जीवन की काल गणना को डिकोड करता है इसलिये यह भी बहुत ही महत्वपूर्ण भाग होता है।
नवम भाव और आपके पूर्वजन्म के संचित कर्म-फल
एक इण्टेरेस्ट या मूलधन पर ब्याज की तरह आपके कर्मों के फलों के भोग भी आपको ही मिलने वाले हैं। और इस बात का विचार आपका नवम भाव करता है। इसको पितृ भाव अथवा शुभ-स्थान कहने के पीछे का यही औचित्य है कि आपके पूर्व संचित कर्मांे के फलों का भुगतान के डेटा को यह भाव डिकोड करता है। और इससे ही आप यह जान पाते हैं कि आपको अपने जीवन में किन परेशानियों का सामना करना है। इस भाव से ही निर्धारित होता है कि हम अपने जीवन में भाग्यशाली हैं कि नहीं।
संक्षेप में (In Short)
किसी व्यक्ति की कुण्डली का नवम भाव को आचार्य, गुरू, देवता, आराध्य, पिता, पूजा, पूर्वभाग्य, तप, सत्कर्म, पौत्र, उत्तम वंश कहंे तो अतिश्योक्ति नहीं होगी क्योंकि इनके विषय में विचार इस भाव से ही किया जाता है। इस नवम भाव को ही शुभस्थान भी कहते हैं। इससे ही पिता के विषय में भी विचार किया जाता है।
दशम भाव हमारे कार्य और रोजगार और आय का स्रोत है
किसी व्यक्ति की आय और व्यापार केवल उसकी एक सोच का परिणाम नहीं होती हैं, बल्कि इसके लिये वह व्यक्ति लगातार ही अपने जीवन में कठोर से कठोर संघर्ष करता है और तब जाकर उसको रोटी नसीब होती है। आप अपने जीवन में क्या करने वाले हैं इस रहस्य को यह भाव डिकोड कर देता है जिससे आपको अपने लक्ष्य का पता पहले से चल जाता है और आप उसके लिये प्रयासरत हो जाते हैं। आप अपने पेशे अथवा व्यापार में कौन सी भूलें करते आ रहे हैं इससे भी यह भाव ही आपको मार्ग दिखाता है।
संक्षेप में (In Short)
कुण्डली के दशम भाव से आपके व्यापार, आपकी हाई प्रोफाइल, आपका मान और सम्मान, आपका कर्म, जय, यश, जीविका, कार्य में आपकी रूचि, सदाचार और दुराचार, आदि का विचार किया जाता है। इसको मेषूरण या आज्ञा स्थान भी कहते हैं।
एकादश भाव और आपके जीवन के रिजल्ट्स
घास खाकर गाय या कोई दूधारू पशु उसको दूध में, दूध से दही तथा दही से माखन और माखन से घी और घी के सेवन का फल आपको जैसे दिखलाई पड़ता है। ठीक वैसे ही आपके जीवन के समस्त क्रियाकलापों का रिजल्ट इसी भाव से दिखाई पड़ता है। आपके जीवन में कृत कार्य के बदले सैलरी अथवा व्यापार से मुनाफा के कोड को यह एकादश भाव डिकोड करता है। आपको आपके जीवन में पहले ही यह बता देता है कि आपको किसी कार्य में फल क्या मिलने वाला है।
संक्षेप में (In Short)
किसी व्यक्ति के एकादश भाव से उसके लाभ, आमदनी, प्राप्ति, आगमन, सिद्धि, वैभव, उसकी समाज में प्रशंसा, बड़ा भाई-बहन, बायाँ कान, अच्छी खबर आदि का विचार इस एकादश भाव से किया जा सकता है।
द्वादश भाव और मोक्ष
हर कार्य का विराम और प्रत्येक जन्म लेने वाली वस्तु, जीव आदि की मृत्यु निश्चित है। यह जीवन के बाद के रहस्यों को उजागर करता है। द्वादश भाव जीवन के बाद के सफर, दरिद्रता, आपके जीवन को किसी न किसी रूप में खर्च करने के विषय में ज्ञान प्रदान करता है। इस भाव से मुक्ति, मोक्ष, कल्पना आदि के द्वार हमारे लिये खुलते हैं।
संक्षेप में (In Short)
किसी व्यक्ति के जीवन के दुःख, पैर, बाईं आँख, उसक जीवन में ह्रास या क्षय, अन्त, दरिद्रता, पाप, शयन, गुप्त सम्बन्ध के कोड को डिकोड करता है। इसको व्यय स्थान भी कहा जाता है।