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जीवन के विभिन्न आयामों पर नौ-ग्रहों का प्रभाव

Impacts of 9 Grahas on Various Dimension of Life

ज्योतिष में सूर्य की अभिव्यक्ति का जीवन के विभिन्न आयामों पर प्रभाव

  • सूर्य का संक्षिप्त परिचय।
  • सूर्य के बली होने के फल।
  • सूर्य के कमजोर होने के फल।

ज्योतिष में चन्द्रमा की अभिव्यक्ति का जीवन के विभिन्न आयामों पर प्रभाव

  • चन्द्रमा का संक्षिप्त परिचय।
  • चन्द्रमा के बली होने के फल।
  • चन्द्रमा के कमजोर होने के फल।

ज्योतिष में मंगल की अभिव्यक्ति का जीवन के विभिन्न आयामों पर प्रभाव

  • मंगल का संक्षिप्त परिचय।
  • मंगल के बली होने के फल।
  • मंगल के कमजोर होने के फल।

ज्योतिष में बुध की अभिव्यक्ति का जीवन के विभिन्न आयामों पर प्रभाव

  • बुध का संक्षिप्त परिचय।
  • बुध के बली होने के फल।
  • बुध के कमजोर होने के फल।

ज्योतिष में वृहस्पति की अभिव्यक्ति का जीवन के विभिन्न आयामों पर प्रभाव

  • वृहस्पति का संक्षिप्त परिचय।
  • वृहस्पति के बली होने के फल।
  • वृहस्पति के कमजोर होने के फल।

ज्योतिष में शुक्र की अभिव्यक्ति का जीवन के विभिन्न आयामों पर प्रभाव

  • शुक्र का संक्षिप्त परिचय।
  • शुक्र के बली होने के फल।
  • शुक्र के कमजोर होने के फल।

ज्योतिष में राहु की अभिव्यक्ति का जीवन के विभिन्न आयामों पर प्रभाव

  • राहु का संक्षिप्त परिचय।
  • राहु के बली होने के फल।
  • राहु के कमजोर होने के फल।

ज्योतिष में केतु की अभिव्यक्ति का जीवन के विभिन्न आयामों पर प्रभाव

  • केतु का संक्षिप्त परिचय।
  • केतु के बली होने के फल।
  • केतु के कमजोर होने के फल।

दोस्तों, ज्योतिष विज्ञान में ग्रहों का बहुत ही बड़ा महत्व है। क्योंकि बिना ग्रहों के विषय में जाने कोई भी उनके प्रभाव को नहीं जान सकता है। इसलिये ग्रहों के गुण और दोषों को विस्तार से जानने का प्रयत्न करना चाहिये जिससे कि उनसे सम्बन्धित फलाफल को सही-सही जाना जा सके अथवा अनुमान लगाया जा सके।

ज्योतिष में सभी ग्रह अलग-अलग खिलाड़ी की तरह व्यवहार करते हैं और आपके जीवन पर उनके अच्छे अथवा बुरे व्यवहार का फल अवश्य ही पड़ता है। उनको जीवन के विभिन्न आयामों,जीवन और उससे जुड़ी ऊर्जा की अभिव्यक्ति और उस ऊर्जा का उपयोग या दुरूपयोग दोनों ही जुड़े हुये हैं। उनके खेल से आपके जीवन का खेल बिगड़ जाता है। और अगर उनकी ऊर्जा का प्रभाव सकारात्मक है तो आपके जीवन का खेल बदल जाता है।

ज्योतिष के यही ग्रह जब आगे उन्नति की ओर जाते हैं तो आपका जीवन सफल बनता है और आगे बढ़ता है बिना किसी बाधा के और यही ग्रह जब पीछे की ओर आते हैं अथवा नीच स्थिति में आ जाते हैं तो आपका जीवन संघर्षपूर्ण हो जाता है।

आपको भले ही ग्रहों का यह खेल दिखाई न देता हो। अथवा ग्रह बहुत दूर-दूर हैं इसलिये आप ऐसा मानते हों कि ग्रहों का आपके जीवन पर कोई एफेक्ट नहीं हो रहा है लेकिन आप इस जगह पर जरा और गहराई से सोचिए। आपको उत्तर मिल जायेगा।

वैसे तो आपको जानकर बहुत ही आश्चर्य होगा कि ज्योतिष में ग्रहों के विषय में जितनी व्याख्या की जायेगी वह उतनी ही लम्बी होती ही जायेगी। लेकिन बहुत ही थोड़े से शब्दों में सभी ग्रहों के गुण और दोषों को बताया गया है। इससे आपको अपने जीवन, उसके आयाम और जीवन की ऊर्जा को आप कैसे और कब व्यक्त करेंगे यह खुलासा हो जायेगा।

ज्योतिष में सूर्य की अभिव्यक्ति और उसका जीवन के विभिन्न आयामों पर प्रभाव

सूर्य इस धरती पर सभी प्रकार के जीवन और उससे जुड़ी बातों के लिये जिम्मेदार है। ज्योतिष में सूर्य को आत्मा का कारण माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार सूर्य से किसी की कुण्डली में उसके पिता के विषय में बताया जा सकता है। और महिला की कुण्डली में सूर्य के भाव से उसके पति के जीवन के विषय में बताया जा सकता है। 
यह सिंह राशि का स्वामी ग्रह होता है। मेष में इसकी स्थिति प्रायः उच्च होती है और तुला में इसकी स्थिति नीच दिखाई देती है। सूर्य के बली होने पर आपके मन में विशेष प्रसन्नता और सकारात्मक विचार रहते हैं। जबकि यह बली न हो तो आपके मन में हमेशा नकारात्मक बातें ही चलती रहती हैं। 
सूर्य सही होने पर आप साहसी, प्रतिभावान, आशावादी और कर्त्तव्य परायण, नेत्तृत्व करने वाले, ऊर्जा से भरपूर, रहते हैं और सफलता की नई उड़ान भरते हैं। लेकिन  यही सूर्य यदि कमजोर हुआ तो आपके चेहरे की रौनक ही चली जाती है, आपको अहंकारी बना देता है, आपको अकारण ईर्ष्या होती है। 
कुण्डली में यदि सूर्य पर कोई ग्रह बली हो जाता है और सूर्य उससे पीड़ित है अथवा वह उसका मित्र ग्रह नहीं है तो आप हृदय अथवा आँख के रोग, हाई या लो-बीपी की समस्या, मुंहासे,पित्त के बढ़ने से रोग,मिग्री आदि से पीड़ित हो जाते हैं।

ज्योतिष में चन्द्रमा की अभिव्यक्ति और उसका जीवन के विभिन्न आयामों पर प्रभाव

आपकी भावना जीवन का एक अद्भुत आयाम हैं और चन्द्रमा इसी भावना से जुड़ा हुआ है। भावना से जुड़ाव होने के कारण ही इसको स्त्री कारक ग्रह माना जाता है। यह जल का प्रतिनिधित्व करता है और कर्क राशि का स्वामी ग्रह है। किसी की कुण्डली में इससे उस व्यक्ति की चंचलता,सुन्दरता,स्त्रियों के गुण और दोष, मन के विषय जिसमें भावनाओं का संचार होता रहता है, को जाना जा सकता है।
चन्द्रमा का सम्बन्ध सूर्य के साथ मित्रतापूर्ण है। मन का नेतृत्व यही करता है। आत्मा का नेतृत्व सूर्य करता है और मन का नेतृत्व चन्द्रमा। चन्द्रमा मन की ही तरह तीव्र गतिकारक होता है। इसकी प्रकृति शीत होने के कारण यह कफ का कारक ग्रह है। 
मन पर चन्द्रमा का विशेष प्रभाव होने के कारण यह आपको घुमक्कड़ बना देगा। आपको यात्रा करने में बहुत ही ज्यादा मन लगेगा। इसके साथ व्यक्ति कल्पनाओं, भावनाओं और विशेष रूप से भावुकता से भरा हुआ होता है। 
बली चन्द्रमा की पहचान यह है कि आपके सम्बन्ध माता से सम्बन्ध अच्छे होते हैं। वह मानसिक रूप से शान्त और सुखी रहता है। 
चन्द्रमा के कमजोर हो जाने पर व्यक्ति के सम्बन्ध उसकी ही माता से खराब बन जाते हैं अथवा माता का स्वास्थ खराब हो जाता है अथवा उनको कोई न कोई दिक्कत हो जाती है।

ज्योतिष में मंगल की अभिव्यक्ति और उसका जीवन के विभिन्न आयामों पर प्रभाव

आपके जीवन में जैसे चन्द्रमा मन की तरंगों के लिए अपना प्रभाव दिखाता है वैसे ही मंगल आपके जीवन में ऊर्जा/एनर्जी के लेवल का प्रतिनिधित्व करता है। इसकी प्रकृति क्रूर है। मंगल शरीर में पित्त की वृद्धि करता है क्योंकि इसकी प्रकृति पित्त है। 
यह ग्रहों में सेनापति का नेतृत्त्व करता है। इसका प्रधान गुण तमोगुण है। इसको क्रूर ग्रह इसलिये कहा जाता है क्योंकि मंगल से प्रभावित लोगों के जीवन में क्रूरता पूर्ण प्रभाव स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं। 
मंगल के मजबूत होने पर पूरी ऊर्जा और बिना डरे ही निर्णय ले लेता है और उसमें सफल भी हो जाता है। यदि आपका मंगल मजबूत है तो आपको तो सफल बनाएगा ही आपके भाई-बहन आदि को भी सफल बना देगा। 
लेकिन यदि यह कमजोर हुआ तो व्यक्ति की दुर्घटना होती रहेगी। उसको विभिन्न तरह के कोर्ट केस,जमीन के विवादों में उलझा देगा।

ज्योतिष में बुध की अभिव्यक्ति और उसका जीवन के विभिन्न आयामों पर प्रभाव

जीवन के विभिन्न आयामों पर बुध शािन्त, सौम्यता को भर देता है क्योंकि यह एक शान्त और सौम्य प्रकृति युक्त ग्रह है। 
यह पित्त और वायु का कारक ग्रह है। यह आपके जीवन में चीजों को कैसे विश्लेषित करते हैं और किस नजरिये से देखते हैं उसको कैसे पूरा करते हैं उसके लिये जिम्मेदार होता है।इससे मिथुन और कन्या राशि वाले लोग विशेष रूप से प्रभावित होते हैं। 
परन्तु इसके साथ-साथ यदि जन्मकुण्डली में बुध ग्रह की स्थिति ठीक रहती है तो बुध आपको कवि, लेखक, वक्ता, अध्यापक आदि बना देता है। 
और यदि यह मजबूत नहीं है तो आपके दिमाग को कमजोर बना देगा।

ज्योतिष में वृहस्पति की अभिव्यक्ति और उसका जीवन के विभिन्न आयामों पर प्रभाव

बृहस्पति को ग्रहों एवं समस्त देवताओं के गुरु के रूप में जाना जाता है। इसका जीवन पर अत्यधिक प्रभाव होता है। 
यह बुद्धिमान और कफ प्रकृति से जुड़ा हुआ ग्रह है। इससे आपके जीवन में आध्यात्मिकता का प्रसार होता है। वृहस्पिति धनु और मीन राशियों का स्वामी ग्रह कहलाता है। 
अगर यह बली है तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि इस कलियुग में भी बृहस्पति आपको धर्मात्मा, ज्ञानवान्,उच्चशिक्षित अधिकारी, प्रोफेसर, लेखक, समाज सुधारक बना सकता है। 
लेकिन अगर यह कमजोर है तो आपको बहुत सी विपरीत स्थितियों का सामना करना पड़ेगा। विकास के सभी रास्ते बन्द हो जाएंगे। नौकरी और विवाह में भी अड़चने पैदा करेगा।

ज्योतिष में शुक्र की अभिव्यक्ति और उसका जीवन के विभिन्न आयामों पर प्रभाव

जीवन के भोगों और साज-सज्जा और फैशन के आयाम को शुक्र तराशता है। शुक्र भौतिक और आधुनिक संसाधनों को देता है। जीवन के भोग,स्त्री सुख आदि शुक्र के प्रभाव क्षेत्र में आते हैं। 
यह कफ का कारक एवं वायु प्रकृति से युक्त ग्रह है। वृष तथा तुला राशियों पर स्वामित्व करता है। शुक्र आपको प्रकृतिप्रेमी, स्त्रीप्रिय, आधुनिक भौतिक सुख संसाधन, वाहनादि से सम्पन्न, कफ और वायु रोग से पीड़ित करता है।
यदि शुक्र बली है तो जीवन में बहुत से भोग आसानी से प्राप्त हो जाएंगे, जीवन को रोमांस से भर देगा |
लेकिन यदि यह कमजोर है तो आपके परिवार और आपके बीच मतभेद करवा देगा, आर्थिक स्थितियों को अन्बैलेनस्ड कर देगा। आर्थिक,मानसिक और शरीरिक तीनों प्रकार के दुःखों से आप पीड़ित हो जाएँगे।

ज्योतिष में शनि की अभिव्यक्ति और उसका जीवन के विभिन्न आयामों पर प्रभाव

जैसे आपके घर का सेवक अच्छा हो तो आपके कार्य में आसानी होगी और यदि वही सेवक कार्यकुशल न हो तो आपके सभी कार्य बिगड़ते ही रहेंगे। शनि को ग्रहों में सेवक की संज्ञा से जाना और पहचाना जाता है। शनि से प्रभावित लोग मन्द प्रकृतिवाले, आलसी, शरीर से सिकुड़े हुये अथवा लम्बे चौड़े शरीर को धारण किए हुए रहते हैं। 

मकर और कुम्भ राशि वाले लोग विशेष रूप से प्रभावित होते हैं। यह आपके जीवन को संघर्ष करने और संघर्ष से निपटने की कला से आत्मसात करवाता है। इसके होने से ही आप कड़ी मेहनत और संघर्ष करते हैं और अन्त में इसके कारण ही सफलता को प्राप्त करते हैं। शनि को कर्मफलदाता भी माना जाता है।

बली शनि के होने से यह आपकी उम्र को बढ़ा देता है और आप अपने कार्यक्षेत्र में उन्नति करवाता है |
जबकि शनि के कमजोर हो जाने पा कारावास,कैंसर आदि जैसी बिमारियों से जूझना पड़ता है।

ज्योतिष में राहु की अभिव्यक्ति और उसका जीवन के विभिन्न आयामों पर प्रभाव

राहु और केतु का प्रभाव विशेष रूप से आपके ऊपर पड़ता है। गले और उसके ऊपरी हिस्से को राहु प्रभावित करता है। राहु के प्रभाव से गले और उसके ऊपर का हिस्सा सिर और दिमाग प्रभावित होता है। इससे प्रभावित लोग दिमाग से कार्य करते हैं। राहु के प्रभाव से व्यक्ति अपने दिमाग के अंदर गंदगी पाले रखता है। 
राहु के कारण अचानक दुर्घटना, अनहोनी और भय का विचार बना रहता है। राहु के प्रभाव से व्यक्ति बेईमान और धोखेबाज हो जाता है। राहु केे खराब होने से व्यक्ति की दिमाग संबंधित खराबियां हो जाती हैं। व्यक्ति को सिर पर चोट लगने का खतरा रहता है और ऐसी स्थिति में गुरु ग्रह भी साथ छोड़ देते हैं। राहु के अच्छे होने से व्यक्ति साहित्यकार, दार्शनिक, वैज्ञानिक बनता है। ऐसे लोग अधिकतर पुलिस और प्रशासन के कार्यों में भी होते हैं। 
राहु के बली होने पर यह बुद्धि से तेज बनाता है और धर्म का पालन करने वाला बनाता है। 
लेकिन खराब राहु के कारण व्यक्ति में नशीली चीजों के सेवन के प्रति लगाव बढ़ता है,उसको तरह-तरह के बुरी लत लग जाती हैं। वह छल-कपट और धोखा भी कर सकता है।

ज्योतिष में केतु की अभिव्यक्ति और उसका जीवन के विभिन्न आयामों पर प्रभाव

केतु अपना प्रभाव शरीर के नीचले हिस्से धड़ पर दिखाता है। केतु के प्रभाव से फेफड़े, पेट और पैर से संबंधित समस्याएं होती है। केतु के बुरे प्रभाव के कारण व्यक्ति जुबान और दिल से गंदा हो जाता है। धोखा, अत्याचार और फरेब करने वाला व्यक्ति भी केतु का शिकार होता है। केतु के अच्छे होने पर व्यक्ति की पद प्रतिष्ठा बढ़ती है साथ ही उसे संतान का सुख मिलता है।
बली केतु के होेने पर आपको यह राजयोग दिलवा सकता है। आपके पैरों को मजबूत कर देता है। पैर की बिमारियों को नहीं होने देता है। 
लेकिन यदि यह कमजोर होता है तो यह पैरों को कमजोर बना देता है। किसी कार्य को करने पर उसको असफल कर देता है। 

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