दो शब्द(Preface)
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Toggleधरती के ऊपर आकाश और रात में टिमटिमाते तारों को देखकर प्राचीन काल से ही मानव के मन में रहस्य बना रहा है। उन चमकते हुए सितारों की खोज प्राचीन काल में ही नहीं बल्कि आज भी हो रही है। और रोज नये-नये प्रयोग किये जा रहे हैं।
एक समय वैदिक ऋषियों ने उनके रहस्य को उजागर किया और आज का आधुनिक विज्ञान भी गहरे अन्तहीन अन्तरिक्ष में टिमटिमाते तारों को कभी एक फेब्रिक से लिपटे हुए और कभी क्वान्टम फिजिक्स में ढूँढ ही रहा है। वह चाहता है कि तारों से आ रही समस्त ऊर्जा का उपयोग अपने धरती के सिविलाइजेशन के विकास में लगा दे और बन जाये सबसे ताकतवर और सबसे ज्यादा डेवलप्ड सिविलाइजेशन।
अन्तरिक्ष के इस खोज और उसकी ऊर्जा की समस्त ताकत को अपने में समेट लेने की खोज में ही खोजा गया आकाश से मानव के जीवन के ऊपर शासन करने वाले नक्षत्रों को। नक्षत्रों के विषय में यह कहने में अतिश्योक्ति नहीं होगी कि अगर ज्योतिष वेदों का नेत्र हैं तो नक्षत्र ज्योतिष के नेत्र हैं। उनके बिना तो ज्योतिष की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।
और सोचने की बात है कि किसी एक नक्षत्र में तारों के अनेकों समूह होते हैं। आप जानते हैं कि सूर्य एक तारा है और गर्मियों में सूर्य की तपिश सबको परेशान करती है और वहीं जाड़े में सूर्य के गर्माहट की चाह सबको ही रहती है। आप सोचिये कि एक सूर्य जो कि एक तारा है और हमसे लगभग 15 करोड़ किमी की दूरी पर है। उसके इतने दूर होने पर भी उसके थोड़े-बहुत परिवर्तन से धरती पर कितने बड़े-बड़े परिवर्तन होने लगते हैं।
अब जरा सोचिये कि किसी एक नक्षत्र में अनेकों तारे होते हैं और ये तारे सूर्य से बहुत बड़े हो सकते हैं तो आपको क्या लगता है कि उनका कोई प्रभाव नहीं हो सकता है? सोचिये कि अगर एक सूर्य न रहे तो धरती पर जीवन की कल्पना भी करना एक किसी फिक्शन मूवी में दिखाये गये किसी सीन की तरह हो सकती है?
सोचिये अगर हमारा सूर्य न हो या गायब हो जाये तो क्या होगा?और जब एक सूर्य के होने और न होने से फर्क पड़ता है तो क्या नक्षत्रों के होने और न होने का कोई फर्क नहीं पड़ता होगा? आज इन्हीं कुछ सवालों के जवाबों को जानेंगे इस आर्टिकल में।
नमस्कार दोस्तों! आज फिर से हम लेकर आ गये हैं ज्योतिष विज्ञान के अथाह सागर से खोजकर नये मोती जिसका नाम है नक्षत्र। इस आर्टिकल में ज्योतिष में बताये गये नक्षत्रों की चर्चा तो हम करेंगे ही उनके प्रभाव को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखेंगे और जानेंगे उनके कुछ रहस्यों को जो कि हमेशा से मानव के मन में एक रहस्य ही बने रहे हैं।
नक्षत्र(Constellations) किसे कहते हैं?
जैसा कि अभी हमने बताया कि तारों के समूह को नक्षत्र कहा जाता है। इन नक्षत्रों में एक तारा मुख्य होता है। अन्तरिक्ष के अथाह सागर में ये नक्षत्र सृष्टि के आदि से आज तक हम पर दृष्टि बनाकर रखने वाले 27 तारा समूह हैं। और ये 27 तारा समूह एक क्रान्तिवृत्त पर स्थित है।
अंतर्राष्ट्रीय खगोल संघ ( International Astronomical Union) 1922 में 88 नक्षत्रों को खोजा जा चुका है | इस आर्टिकल में हम ज्योतिषीय नक्षत्रों की ही बात करेंगे | लेकिन अगले आने वाले आर्टिकल में हम उन 88 नक्षत्रों को भी आपके सामने लायेंगे और उसके विषय में भी काफी कुछ interesting बातें होंगीं |
क्रान्तिवृत्त (Ecliptic) क्या है?
पृथ्वी से सूर्य को देखने पर ऐसा लगता है कि सूर्य पूर्व से निकलता है और पश्चिम में डूब जाता है| ठीक ऐसे ही साल के सभी दिन ध्यान पूर्वक सूर्य को पृथ्वी से देखने पर वह एक ख़ास मार्ग पर चलता हुआ दिखाई देता है | और सूर्य के इसी वृत्ताकार या गोल रास्ते को क्रांतिवृत्त कहा जाता है |
सूर्य के इसी रास्ते को ज्योतिष में आदि काल से अध्ययन किया गया और यह देखा गया कि कुछ तारा समूह भी इसी मार्ग पर देखे जा रहे हैं | क्रांतिवृत्त जो कि वृत्ताकार है उसके 27 भाग किये गये | 27 भागों के एक-एक भाग को एक नक्षत्र कहा गया है |
नक्षत्र की पहचान कैसे होती है?
हमने बताया है कि एक नक्षत्र बहुत से तारों का समूह होता है। इन समूह में एक तारा मुख्य होता है जिसको योग तारा कहते हैं। योग तारा के द्वारा ही नक्षत्र या नक्षत्र पुंज की पहचान होती है। योग तारा उस नक्षत्र में स्थित सभी तारों से कहीं ज्यादा चमकदार होता है। इसके अलावा उनमें कुछ और छोटे तारे होते हैं जिनको मिलाकर एक खास आकृति बनती है इस आकृति को देखकर भी इनकी पहचान की जा सकती है। आइये जान लेते हैं कि नक्षत्रों और उनकी पहचान के लिये कुछ संकेत।
नक्षत्रों की सूची-2
ज्योतिष में नक्षत्रों से क्या विचार किया जाता है?
हमको ब्रह्माण्ड के फेब्रिक के बारे में मालूम है। थोड़े से ध्यान देने से ही पता चल जाता है कि ब्रह्माण्ड के फेब्रिक में एक पिण्ड का प्रभाव दूसरे पर कैसे पड़ता है? इसी तरह ज्योतिष में नक्षत्रों पर विचार करते समय हम यह देखते हैं कि कि कोई ग्रह किस नक्षत्र के पास है। सभी ग्रह अपनी-अपनी ग्रहकक्षा के अनुसार निर्धारित गतियों द्वारा अलग-अलग समय में नक्षत्रों के प्रभाव से प्रभावित होते हैं। वह नक्षत्र के क्षेत्र से गुजरते हैं। चन्द्रमा रोजाना एक नक्षत्र का भोग करता है। यही कारण है कि ज्योतिष में हम सब चन्द्रमा को ही सबसे पहले देखते हैं।
नक्षत्रों के इस आर्टिकल में आपने उनका परिचय प्राप्त किया | क्रांतिवृत्त के बारे में जाना | अगले अंक में हम बात करेंगे क्या कहता है मॉडर्न साइंस ? ज्योतिष में नक्षत्रों के अध्ययन से किन बातों का विचा किया जाता है ? इसको विस्तार में जानेंगे | विज्ञान नक्षत्रों से क्या विचार करता है ? इस विषय को भी जानेंगे | कहानी अभी बाकी है मिलते हैं फिर अगले आर्टिकल के साथ |